ख़्वाबों की गली में काफ़ी दूर चले आएं हैं,
सुकून न मिला.............जो इस गली तो,
हक़ीक़त के चौराहे ख़ुद को छोड़ आएं हैं।
दिल के टुकड़े...चांद से ज़्यादा रोशन,
दोस्तों और रिश्तों को छोड़कर,
इस बेगाने शहर चलें आएं हैं,
सुकून न मिला......जो इस बेगाने शहर तो,
अपने शहर को लौटने का इरादा कर आएं हैं।
मेरा शहर
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