और सुनो, जर्रा जर्रा टूटने के बाद भी बिखरने नहीं द | हिंदी Shayari

"और सुनो, जर्रा जर्रा टूटने के बाद भी बिखरने नहीं दिया है खुदको मैंने, मैंने टांग रखा है गले में भस्म हो चुके सपनों को एक पोटली में बांध कर, मैं नहीं मुक्त होना चाहता ताउम्र इनके भार से, मै चाहता हूं की इनका विसर्जन मेरी अस्थियों के साथ हो, ताकि अगले जन्म में मुझे याद रह सके, कि इस बार मुझे अपने लिए जीना है, और अपने सपने पूरे करने हैं। ©prateekjackie..."

 और सुनो,
जर्रा जर्रा टूटने के बाद भी बिखरने नहीं दिया है खुदको मैंने,
मैंने टांग रखा है गले में भस्म हो चुके सपनों को एक पोटली में बांध कर,
मैं नहीं मुक्त होना चाहता ताउम्र इनके भार से,
मै चाहता हूं की इनका विसर्जन मेरी अस्थियों के साथ हो,
ताकि अगले जन्म में मुझे याद रह सके,
कि इस बार मुझे अपने लिए जीना है,
और अपने सपने पूरे करने हैं।

©prateekjackie...

और सुनो, जर्रा जर्रा टूटने के बाद भी बिखरने नहीं दिया है खुदको मैंने, मैंने टांग रखा है गले में भस्म हो चुके सपनों को एक पोटली में बांध कर, मैं नहीं मुक्त होना चाहता ताउम्र इनके भार से, मै चाहता हूं की इनका विसर्जन मेरी अस्थियों के साथ हो, ताकि अगले जन्म में मुझे याद रह सके, कि इस बार मुझे अपने लिए जीना है, और अपने सपने पूरे करने हैं। ©prateekjackie...

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