मैं तुम्हें जी भर के देखना चाहता हूं लेकिन क्या करे, तुम्हें कितना भी देखें जी नहीं भरता।
तुम्हें याद है जब मैं शाम को तुम्हारे घर आया था और पिता जी ने पूछा था अब क्या कर रहे हो, दिल तो किया था कह दूं कि तुम्हें याद करता हूं, लेकिन डर ये भी था पिताजी कुछ गलत न समझने लगे इसलिए सच को अर्ध सत्य में बदला और कहा कि अब मैं नौकरी करता हूं किंतु उन्हें क्या पता था कि यह सम्पूर्ण सत्य नहीं है मैं दिन भर नौकरी करता हूं और रात में तुम्हें याद करता हूं, यदि मैं और तुम मिलकर हम न हो पाएं तो परेशान मत होना बस मुझे याद कर लेना और खुश हो जाना।
©Narendra Kumar
#bajiraomastani