इनकार जैसी लज्जत इकरार में कहा बढ़ता रहा इश्क़ ग़ालि | हिंदी शायरी

"इनकार जैसी लज्जत इकरार में कहा बढ़ता रहा इश्क़ ग़ालिब उसके नही नही से"

 इनकार जैसी लज्जत इकरार में कहा 
बढ़ता रहा इश्क़ ग़ालिब उसके नही नही से

इनकार जैसी लज्जत इकरार में कहा बढ़ता रहा इश्क़ ग़ालिब उसके नही नही से

इश्क़

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