रंगों की फुहार थी। चारों तरफ बहार थी। गुजियो की मि | हिंदी कविता

"रंगों की फुहार थी। चारों तरफ बहार थी। गुजियो की मिठास थी। प्रेम की बरसात थी। कुछ गिले-शिकवो की विदाई हुई। कुछ अपनों से मुलाकात हुई ऐसी आज बरसात हुई। सु J ल ©SUJAL PAL"

 रंगों की फुहार थी। चारों तरफ बहार थी। गुजियो की मिठास थी। प्रेम की बरसात थी। कुछ गिले-शिकवो की विदाई हुई। कुछ अपनों से मुलाकात हुई ऐसी आज बरसात हुई।       सु J ल

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रंगों की फुहार थी। चारों तरफ बहार थी। गुजियो की मिठास थी। प्रेम की बरसात थी। कुछ गिले-शिकवो की विदाई हुई। कुछ अपनों से मुलाकात हुई ऐसी आज बरसात हुई। सु J ल ©SUJAL PAL

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