"फिर मुलाक़ात,
वो पल हम दोनों लिए कयामत की रात थी
लब खामोश थे दिल में ढे़र सारी बात थी
बिछड़ रहे थे एक दूजे से हम दोनों
दुआएं थी कुछ कश्में थे और आखिरी मुलाकात थी
-एस के सिद्धार्थ"
फिर मुलाक़ात,
वो पल हम दोनों लिए कयामत की रात थी
लब खामोश थे दिल में ढे़र सारी बात थी
बिछड़ रहे थे एक दूजे से हम दोनों
दुआएं थी कुछ कश्में थे और आखिरी मुलाकात थी
-एस के सिद्धार्थ