White हम इंसानों की तुम बात ना पूछो  दौड़ते-भागते, | हिंदी Poetry

"White हम इंसानों की तुम बात ना पूछो  दौड़ते-भागते, हाँप रहे हैं  कतार लगी है अंधों की  इस अंधी दौड़ में, सब भाग रहे हैं  उलझे-सुलझे, फिर से उलझे  यहाँ-वहाँ बस ताक रहें हैं  मकसद अपना छोड़-छाड़ के  अंधी दौड़ में सब भाग रहे हैं होड़ लगी है बड़ा दिखने की  बड़ी-बड़ाई, सब हाँक रहे हैं  दिखावे के इस दौर में देखो  अंधी दौड़ में सब भाग रहे हैं  भागो जितना भाग सको  कहीं गिर जाओ, तो रुक जाना  रुक के खुद से बातें करना  खुद को थोड़ा समझाना  मजदूर नहीं जो भाग रहे हो  गुलाम नहीं जो जाग रहे हो  राजा हो तुम अपने मन के  अंधों की दौड़ में, क्यों भाग रहे हो ? ©Vikas Kumar Chourasia "

White हम इंसानों की तुम बात ना पूछो  दौड़ते-भागते, हाँप रहे हैं  कतार लगी है अंधों की  इस अंधी दौड़ में, सब भाग रहे हैं  उलझे-सुलझे, फिर से उलझे  यहाँ-वहाँ बस ताक रहें हैं  मकसद अपना छोड़-छाड़ के  अंधी दौड़ में सब भाग रहे हैं होड़ लगी है बड़ा दिखने की  बड़ी-बड़ाई, सब हाँक रहे हैं  दिखावे के इस दौर में देखो  अंधी दौड़ में सब भाग रहे हैं  भागो जितना भाग सको  कहीं गिर जाओ, तो रुक जाना  रुक के खुद से बातें करना  खुद को थोड़ा समझाना  मजदूर नहीं जो भाग रहे हो  गुलाम नहीं जो जाग रहे हो  राजा हो तुम अपने मन के  अंधों की दौड़ में, क्यों भाग रहे हो ? ©Vikas Kumar Chourasia

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