"सुनो, अप्रैल भी आ गया है
तुम भी चली आओ न
चिलचिलाती गर्मी में,
ठंडी पुरवइया बनके
तपती सी धूप में,
पेड़ की छाया बनके
सुनो, चली आओ
अब चलना है तुमको,
मुझ संग मेरा साया बनके"
सुनो, अप्रैल भी आ गया है
तुम भी चली आओ न
चिलचिलाती गर्मी में,
ठंडी पुरवइया बनके
तपती सी धूप में,
पेड़ की छाया बनके
सुनो, चली आओ
अब चलना है तुमको,
मुझ संग मेरा साया बनके