जाने क्यूं ज़िन्दगी बेजान सी लगती है....
यूं ही सुबह आती है....यूं ही रात जाती है...
रोज़ तुझे संवारने के लिए.... भागम भाग होती है...
मगर तुझसे कभी मुलाकात नहीं होती.....
क्यूं पैसा ही ज़िन्दगी में सब कुछ है....
क्यूं इसके बिना ....इंसान की कोई अहमियत नहीं होती....
पानी भी बिकता है अब तो और सांस लेने को खुली हवा भी....
बस पैसा ही ज़िन्दगी और ज़िन्दगी कुछ भी नहीं....
काश के ऐसा होता...
बिन पैसों के सब मिलता....
हर चेहरे पर एक मुस्कान होती...
हर कोई तुझे गले लगाकर जी रहा होता....
कोई अमीर और कोई गरीब नहीं होता....
तूं सबकी होती और सब तेरा होता....
ज़िन्दगी सुकून भरी होती....प्यार का आलम होता ....
हर कोई अपनों के साथ होता....
तुझसे मुलाकात भी होती और तुझसे मिलने का मजा ही कुछ और होता.....
ए ज़िन्दगी ........ काश के पैसे ना होता!!!!
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