ख़त्म स्याही हो चुकी है लेखनी की, आँसु | हिंदी विचार

"ख़त्म स्याही हो चुकी है लेखनी की, आँसुओ! तहरीर तो लिखनी पड़ेगी। जो कलेजा चीरकर माँ ने पिलाया, क्षीर की तासीर तो लिखनी पड़ेगी। उँगलियाँ साधो ज़रा हिम्मत दिखाओ! भारती की पीर तो लिखनी पड़ेगी। जो शहीदों ने उकेरी है लहू से, देश की तस्वीर तो लिखनी पड़ेगी। ◆●●●●●●●● योगेन्द्र शर्मा ●●●●●●●◆ ©Menariya"

 ख़त्म स्याही हो चुकी है लेखनी की, 
            आँसुओ! तहरीर तो लिखनी पड़ेगी।

जो कलेजा चीरकर माँ ने पिलाया, 
              क्षीर की तासीर तो लिखनी पड़ेगी।

उँगलियाँ साधो ज़रा हिम्मत दिखाओ! 
              भारती की पीर तो लिखनी पड़ेगी।

जो शहीदों ने उकेरी है लहू से, 
              देश की तस्वीर तो लिखनी पड़ेगी।
◆●●●●●●●● योगेन्द्र शर्मा ●●●●●●●◆

©Menariya

ख़त्म स्याही हो चुकी है लेखनी की, आँसुओ! तहरीर तो लिखनी पड़ेगी। जो कलेजा चीरकर माँ ने पिलाया, क्षीर की तासीर तो लिखनी पड़ेगी। उँगलियाँ साधो ज़रा हिम्मत दिखाओ! भारती की पीर तो लिखनी पड़ेगी। जो शहीदों ने उकेरी है लहू से, देश की तस्वीर तो लिखनी पड़ेगी। ◆●●●●●●●● योगेन्द्र शर्मा ●●●●●●●◆ ©Menariya

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