प्रेम पत्र शादी हो चुकी है बिटिया की
पिता ने कर दिया है कन्यादान
सब सोच रहे थे अब बारी है इनके गंगा नहाने की
पर किसी ने नही देखा पिता का अंगदान
बिटिया ने एक घर सजाया
अब जाकर दूसरा घर सजायेगी
पिता सोचे अब पराया होकर
क्या मेरी बिटिया मुझे पहचान पायेगी
इधर बिटिया सोचे
पुराना संसार भी तो अच्छा था
अब नया संसार कैसे बसाउंगी
अब तो सिंदूर ही है सबकुछ मेरे लिए
पर अपने बापू को कैसे भूल पाऊँगी
बिटिया के आसुँ आ गए ये सोचकर
आज बापू का दामन छोड़के जाना है
एक नए संसार मे जाकर
मंगलसूत्र के साथ नया रिश्ता निभाना है
सब सोच रहे थे
पिता की चिंता हुई अब दूर
बेटी भी खुशियों के दामन मे रहेगी भरपूर
लेकिन अंदर की बात तो ये पिता पुत्री जानते है
पर इन सबसे अलग महमान लगे पड़े थे कोई न कोई निकालने कसूर
– Vikas Gupta
©Vikas Gupta
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