किसी और कि बन अब जी नहीं पाऊँगी तुझमें समा के तेरी

"किसी और कि बन अब जी नहीं पाऊँगी तुझमें समा के तेरी सांसों में बह जाऊँगी एक बार और मेरा नाम पुकार तो सही जीते जी नहीं पर अपनी धड़कन तेरे नाम कर जाऊँगी ©नंदिता मिश्रा"

 किसी और कि बन अब जी नहीं पाऊँगी
तुझमें समा के तेरी सांसों में बह जाऊँगी
एक बार और मेरा नाम पुकार तो सही
जीते जी नहीं पर अपनी धड़कन तेरे नाम कर जाऊँगी
©नंदिता मिश्रा

किसी और कि बन अब जी नहीं पाऊँगी तुझमें समा के तेरी सांसों में बह जाऊँगी एक बार और मेरा नाम पुकार तो सही जीते जी नहीं पर अपनी धड़कन तेरे नाम कर जाऊँगी ©नंदिता मिश्रा

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