"हाँ मैं खुद को ढूढ़ रहा हूँ
लगातार
अंतर्मन के किसी अंधेरे कोने मे
बरसों पहले
कहीं कोई मार के फेंक गया मुझे
मोहब्बत के नाम पर
तब से मेरी छलीत आत्मा ख़ुद की
अंत्येष्टि के लिए
हाँ ख़ुद को ढूँढ रही लगातार
हाँ जिस्म का लबादा ओढ़े
एक आत्मा मुक्ति की तलाश में
दर दर भटकती हुई
तुम तक पहुंच ही गई देखो मेरे क़ातिल
चलो मैं तुमको लेने आया हूँ
प्राण त्यागो और चलो बस
हम एक हो जाए
कभी ना अलग होने के लिए
बोलो चलोगी ना #RJ
©Ehsaas"(ˈvamˌpī(ə)r)"Radio
"