वो तड़फती रही दरिंदों से दया की भीख मांगती रही पर श | हिंदी विचार

"वो तड़फती रही दरिंदों से दया की भीख मांगती रही पर शासन और सरकार मूक दर्शक बने उन दरिंदों को भड़का कर हौसला आफजाई करते रहे। पडोसियों से मदद की की गुहार लगाती एक महिला पर दया नहीं आयी लाखों हिन्दू परिवार मौत के घाट उतार दिये गये। सत्तर साल से शासन बेजुबान रहा और बेशर्मी से सच्चाई पर झूठ का आवरण रख कर बचना चाह रही है अब भी अगर बेजुबान बने रहे तो भारत के टुकड़े करने मे सफल ह़ जायेंगे। अब जुबान चला कर आलगावादियों और आतंवादियों क़ मुंह बंद करना होगा ©Naresh Chandra"

 वो तड़फती रही दरिंदों से दया की भीख मांगती रही पर शासन और सरकार मूक दर्शक बने उन दरिंदों को भड़का कर हौसला आफजाई करते रहे। 
पडोसियों से मदद की की गुहार लगाती एक महिला पर दया नहीं आयी लाखों हिन्दू परिवार मौत के घाट उतार दिये गये। सत्तर साल से शासन बेजुबान रहा और बेशर्मी से सच्चाई पर झूठ का आवरण रख कर बचना चाह रही है अब भी अगर बेजुबान बने रहे तो भारत के टुकड़े करने मे सफल ह़ जायेंगे। 
अब जुबान चला कर आलगावादियों और आतंवादियों क़ मुंह बंद करना होगा

©Naresh Chandra

वो तड़फती रही दरिंदों से दया की भीख मांगती रही पर शासन और सरकार मूक दर्शक बने उन दरिंदों को भड़का कर हौसला आफजाई करते रहे। पडोसियों से मदद की की गुहार लगाती एक महिला पर दया नहीं आयी लाखों हिन्दू परिवार मौत के घाट उतार दिये गये। सत्तर साल से शासन बेजुबान रहा और बेशर्मी से सच्चाई पर झूठ का आवरण रख कर बचना चाह रही है अब भी अगर बेजुबान बने रहे तो भारत के टुकड़े करने मे सफल ह़ जायेंगे। अब जुबान चला कर आलगावादियों और आतंवादियों क़ मुंह बंद करना होगा ©Naresh Chandra

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