लड़की है तो कभी न कभी ब्याह ही दी जाएगी कोई अच्छा सा सरकारी दूल्हा ढूंढ कर
लेकिन कभी चखो
जिम्मेदारी ,बेरोजगारी, डिप्रेशन तानो का कॉकटेल स्वाद आखिर कैसा होता है
हम आदमी है जनाब हमारे साथ ऐसा ही होता है
अपनी गलती ना होते हुए भी प्यार और रिश्तों की खातिर बार बार सॉरी कह कर
खुदा ही जाने अपने आत्म सम्मान को ना जाने कैसे खो लेता है
हम आदमी है जनाब हमारे साथ ऐसा ही होता है
सैलरी में तो सब समान है
लेकिन जेंडर कार्ड कहो या सोशल प्रेशर मर्दानगी के नाम पर हमको
हमेशा कोल्हू के बैल जैसा जोता जाता है
हम आदमी है जनाब हमारे साथ ऐसा ही होता है
गर बह जाए गलती से भी अश्क
तो ये जालिम दुनिया वाले कहते है देखो कैसे ये औरतो की तरह रोता है
हम आदमी है जनाब हमारे साथ ऐसा ही होता है
माँ की ममता तो सब को जहां को दिखती है
लेकिन नही दिखती जो पिता सब की जिम्मेदारी बिना चु किये चुपचाप ढोता है
हम आदमी है जनाब हमारे साथ ऐसा ही होता है
©Aapka Dheeraj
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