आँखों से
बातों से
एहसास से
ज्जबात से
चुप्पियों से
मौन से
उदासी से
हसीं से
गम से
ख़ुशी से
जाने ऐसे
कितने ही तौर, सुनी है मैने
तुम्हारी आवाजें ,
जो आजकल मेरे लिए ,
तुम्हारी जुबाँ नहीं निकलती
आवाजें ,,,
जो दर्द की मरहम हो सकती हैं
किसी कोने की आग की बर्फ हो सकती हैं
दरख्त की छावं हो सकती हैं
हौसलों की पावं हो सकती हैं
आवाजें ,,,
उफ्फ से लेकर
अच्छा ठीक है तक ,कुछ भी
जो मेरे चिखते
गला बैठते तलक
तेरे मुंह से नहीं आयीं
आवाजें |आवाजें |
©Mr. Raj
#DilKiAwaaz