जिसे चाहो, हर बार है न मिलता! ये वो ख्वाब है, जो ह | हिंदी शायरी

"जिसे चाहो, हर बार है न मिलता! ये वो ख्वाब है, जो हकीकत न बनता!! अनमोल है बाजार न बिकता! वो है मेरा,ये हक यार न मिलता!!"

 जिसे चाहो, हर बार है न मिलता!
ये वो ख्वाब है, जो हकीकत न बनता!!
अनमोल है बाजार न बिकता!
वो है मेरा,ये हक यार न मिलता!!

जिसे चाहो, हर बार है न मिलता! ये वो ख्वाब है, जो हकीकत न बनता!! अनमोल है बाजार न बिकता! वो है मेरा,ये हक यार न मिलता!!

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