कितने सपने उतर रहे हैं दो नैनों के आंगन में! हो जा | हिंदी शायरी Video

"कितने सपने उतर रहे हैं दो नैनों के आंगन में! हो जाऊं आजाद मैं तुमसे या बंध जाऊं बंधन में? अब कोई दीया जलता नहीं बुझे बुझे से इस मन में! रहता है हाल एक ही जैसा क्या पतझड़ क्या सावन में। कुछ अनसुलझे से सवाल हैं अब भी मेरे जीवन में! कई यादें जलकर राख हुईं पर कुछ बाकी हैं अब भी जेहन में। ©निम्मी "

कितने सपने उतर रहे हैं दो नैनों के आंगन में! हो जाऊं आजाद मैं तुमसे या बंध जाऊं बंधन में? अब कोई दीया जलता नहीं बुझे बुझे से इस मन में! रहता है हाल एक ही जैसा क्या पतझड़ क्या सावन में। कुछ अनसुलझे से सवाल हैं अब भी मेरे जीवन में! कई यादें जलकर राख हुईं पर कुछ बाकी हैं अब भी जेहन में। ©निम्मी

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