White मेरे अन्दर काबिज़ है वो, मुझसे जुदा नहीं रहत | हिंदी शायरी

"White मेरे अन्दर काबिज़ है वो, मुझसे जुदा नहीं रहता दाढ़ी टोपी और तिलक में, मेरा खुदा नहीं रहता। -मनोज मुन्तज़िर ©साहित्य संजीवनी"

 White मेरे अन्दर काबिज़ है वो, मुझसे जुदा नहीं रहता 
दाढ़ी टोपी और तिलक में, मेरा खुदा नहीं रहता।

-मनोज मुन्तज़िर

©साहित्य संजीवनी

White मेरे अन्दर काबिज़ है वो, मुझसे जुदा नहीं रहता दाढ़ी टोपी और तिलक में, मेरा खुदा नहीं रहता। -मनोज मुन्तज़िर ©साहित्य संजीवनी

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