"सुकून क्या है, ये कोई कैसे बताए,
जैसे थकी आँखों को चांदनी लोरी सुनाए।
जैसे तपते सफर में अचानक से छांव मिले,
या फिर किसी ख्वाब की तकदीर पे ठहराव मिले।
सुकून वो है, जब कोई बेवजह मुस्कुराए,
बिन कहे कोई हर दर्द समझ जाए।
जैसे बारिश की बूंदें सूखी ज़मीन को छू जाएं,
और दिल के वीराने में कोई नया फूल खिल जाए।
सुकून वो है, जब बातें खत्म हो जाएं,
पर खामोशियों में भी मोहब्बत की आवाज़ आए।
जैसे देर रात की तन्हाई में कोई ग़ज़ल बन जाए,
और हर अल्फाज़ दिल की धड़कन से मिल जाए।
सुकून वो है, जब मंजिल से ज्यादा सफर प्यारा लगे,
और किसी के साथ होने का एहसास सबकुछ सवारा लगे।
जैसे किसी पुराने खत में अब भी जज्बात बचे हों,
या फिर किसी रूठे हुए पल में उम्मीद के हाथ सजे हों।
सुकून वो है, जब हम खुद से मिल जाएं,
और तमाम शोर के बीच में भी शांत हो जाएं।
जैसे जिंदगी के तमाम झंझावातों के बाद,
एक पल ठहर कर बस दिल की बात सुन जाएं।"
©silent_03
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