सपने भी काँच से कम नहीं होते जब टूटते हैं तो चुभते | हिंदी Shayari

"सपने भी काँच से कम नहीं होते जब टूटते हैं तो चुभते बहुत हैं I © डॉ. संजय बोरुडे ©Dr Sanjay Borude"

 सपने भी काँच से कम नहीं होते
जब टूटते हैं तो चुभते बहुत हैं I 

© डॉ. संजय बोरुडे

©Dr Sanjay Borude

सपने भी काँच से कम नहीं होते जब टूटते हैं तो चुभते बहुत हैं I © डॉ. संजय बोरुडे ©Dr Sanjay Borude

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