नम हुई आंखों से अब अश्कों को पोंछेगा कौन.....
भुले हुए राहगीर को ,अब रास्ता दिखाएगा कौन....
चहुंओर फैला है संताप,अब यहां हाल पूछेगा कौन...
उलझ गया सूत जो,अब उसे यहां सुलझाएगा कौन...
मत हो मायूस मानवी, तेरी मायूसी को समझेगा कौन..
जो बीत चुका जो आज,अब उसे तुम्हें लौटाएगा कौन...
जो शख्स उठा जमाने से, अब उसे याद रखेगा कौन....
सुख चुके जो बागवान, अब उन्हें फिर सींचेगा कौन...
नम हुई आंखों से अब अश्कों को पोंछेगा कौन......
भोर-भई भटकता जो दर-दर,हालात उसका जानेगा कौन....
बुझ चुका जहां कहीं दिया,वहां अमर उजाला करेगा कौन....
टूटा जो तार कहीं कलेजे से,अब उसकी मरम्मत करेगा कौन....
उठी अर्थी जहां जोबन में,उस आशियां को संभालेगा कौन...
नम हुई आंखों से अब अश्कों को पोंछेगा कौन....
©Kehraram DEWASI
#Drops