एक लड़की जब औरत से मां बन जाती है तब खुदा को मंदिर में नहीं
अपनी कोख में खोजती है
जो डर जाती थी कभी
छिपकली और कॉकरोच से
वो उस के लिए भेड़ियों से भी
लड़ने को तैयार रहती हैं
जो न सहती छोटी खरोच का दर्द भी
अपने जिस्म पर
वो अब खुद को दर्द दे
नई जिंदगी को जन्म देती हैं
हल्का भार भी उठाने में जो
नखरे सबको दिखाती थी
आज नौ माह कोख में
एक जान पर सब कुर्बां करती हैं
जिंदगी की इस दौड़ में जिसके ख़्वाब ही थे उसका जहां अब उस जहां को अपनी नन्ही जान के लिए बुनती है
मौत के मुंह में जाकर
जो दिखाती हैं किसी को दुनिया
उसी आंखो में देखकर
वो दर्द तकलीफ भूल जाती हैं
निभाए जो बेटी बहू और बीवी का
किरदार अदब से वो अपनी जान के लिए अच्छी मां बनने की कोशिश हज़ार करती हैं अब तक अपनी शैतानियों से परेशान कर सबको जो होती थी बहुत खुश
आज किसी की शैतानियों से परेशान होने का सुख लेती है
निभाकर मां का किरदार जो पालती है नाजों से अपने बच्चे को
वो उसी की खातिर दुर्गा काली और चंडी भी बन जाती है
लोग कहते हैं कुछ नहीं बदलता लड़की की जिंदगी में
बस जिम्मेदारियों की नई रेखा खींच जाती है तो पूछो जरा हर उस लड़की से वो इस सफर में क्या से क्या बन जाती है
शुभ रात्रि मित्रो
जय माता दी
🙏🙏🙏🙏
©VINAY PANWAR
जय श्री कृष्णा
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