"White इंतजार
खुद को खो चुकी हूं
तेरे इंतजार में
तरुओं की गोद में
अक्सर दिन कट जाते हैं
मगर ये शामें बड़ा सताती हैं
तेरे इंतजार में
ये रातें बड़ा रुलाती हैं
संभाल लेती हूं अक्सर खुद को
मगर ये चक्षु बहाल कर ही देते हैं
सवेरों की पहली पुकार तुम
निशाओं में अंतिम विचार तुम
पहर की राहें कब मिलेगी
कुछ न जानती
क्या ये इंतजार बिगाड़ेगा
उसका श्रृंगार
कितना सही कितना बेकार हैं
फिर भी मुझे इंतजार हैं ।
©Bhanu Priya
"