जी लेने दो अभि नन्हे परिदो को अपनी बचपन की जिंदगी, | हिंदी शायरी

"जी लेने दो अभि नन्हे परिदो को अपनी बचपन की जिंदगी, एक दिन ओ ऐसी उडान भरेगे की फिर किसी के हाथ नही आयेगी ©Ravi Dhangar"

 जी लेने दो अभि नन्हे परिदो को अपनी बचपन की जिंदगी, एक दिन ओ ऐसी उडान भरेगे की फिर किसी के हाथ नही आयेगी

©Ravi Dhangar

जी लेने दो अभि नन्हे परिदो को अपनी बचपन की जिंदगी, एक दिन ओ ऐसी उडान भरेगे की फिर किसी के हाथ नही आयेगी ©Ravi Dhangar

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