White कबीर जी की एक रचना
अल्लाह राम जीऊतेरे नाई,
बंदे ऊपरी मेहर करो मेरे साईं।
क्या ले माटी भुइ सू, मरैक्या जल देह न्हवये
जो करे मासाकिन सतावे,
गुण ही रहेछिपाई।
ब्रहण व्यारसी करै चौबीसों,
काजी महरमजान।
ग्यारस मास जुदे क्यू किये,
एकही माहि समान।
पूरबी दिसा हरी का बसा,
पश्चिम अल्लाह मुकामा।
दिल ही खोजी दिलै भीतरी,
ईहा राम रहिमाना।
राधे राधे
©Inat Sona Godavari
राधे राधे 🌺