काफिलों के साथ बंटती नंही तन्हाईयां रुखसत होती ह | हिंदी कविता Video

"काफिलों के साथ बंटती नंही तन्हाईयां रुखसत होती है रूह, रह जाती है रुसवाईयां कब हुई हैं महफिलें कमबख्त किसी की अक्सर तन्हा छोड़ देती हैं अपनी ही परछांइया ©अपर्णा विजय "

काफिलों के साथ बंटती नंही तन्हाईयां रुखसत होती है रूह, रह जाती है रुसवाईयां कब हुई हैं महफिलें कमबख्त किसी की अक्सर तन्हा छोड़ देती हैं अपनी ही परछांइया ©अपर्णा विजय

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