मेरी शादी का प्रस्ताव लेके जितेंद्रजी के पास गई
जितेन्द्र ने कहा..शोभा (कपूर) नहीं देता आपको।
फिर धर्मेन्द्र जी को पूछा..वो तो चौंक ही गए
और जोर से बोले... हे मा (मालिनी) माताजी।
दिलीपजी मुझे आना है आपकी ज़िन्दगी में
ना करना इनकार करू खुदा की बंदगी मै.
.दिलीप जी ने खूब कहा...मोहतरमा ये शायरा (बानू) ना अंदाज ना चले यहां।
आखिर में अाई अमितजी के पास..अमितजी थे बड़े उदास
बोले...मैंने( रेखा ) खींच रखी है..बस अब कोई नहीं आस।
©mohini writes
#saath