White जख्मो से मेरे नमक रिसता जा रहा है ये मैंने | हिंदी शायरी

"White जख्मो से मेरे नमक रिसता जा रहा है ये मैंने ही भरे थे कभी किसी जिस्म में अब याद आ रहा है गिन गिन के हम भी थे कमीने किस किस्म के ©Bhupesh Pachori"

 White जख्मो से मेरे नमक
 रिसता जा रहा है 
ये मैंने ही भरे थे 
कभी किसी जिस्म में
अब याद आ रहा है 
गिन गिन के 
हम भी थे कमीने 
किस किस्म के

©Bhupesh Pachori

White जख्मो से मेरे नमक रिसता जा रहा है ये मैंने ही भरे थे कभी किसी जिस्म में अब याद आ रहा है गिन गिन के हम भी थे कमीने किस किस्म के ©Bhupesh Pachori

हां अब वापस लौट जाते हैं क्यों पड़े हैं बेवजह रिश्त में

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