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मेरी लिखावट से मुझे जज ना करे कोई क्योंकि
मैं वैसा नहीं जैसा लिखता हूं मैं
बनावट दिमाग का मेरा ऐसा ही है
जब जी चाहे जो वो लिखता हूं मैं...
लिखावट मेरी कुछ आज की है
और बहुत कुछ है जो मैं कल लिखा था
मेरी परेशानियों का उसने ख़ूब मज़ाक था उड़ाया
जिसे मशले का मेरे मैं हल लिखा था.
©Mohd Asif (Genius)
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