मेरे प्यारे वतन तुझपे मेरी जान निसार हैं, मेरे जिस्म का एक - एक कतरा तुझपे कुर्बान है,
तेरी महफिल में ना जानें कितने वीर आए हैं,
कोई भगत सिंह तो कोई चंद्रशेखर, कोई अशफाकउल्ला खां तो कोई सुभाष चंद्र बोस बनकर आए हैं,
मेरे प्यारे वतन तेरी मिट्टी सलामत रहें, तेरी खातिर तिरंगे में लिपटे ना जाने कितने शहीद आए हैं,
मेरे बाबा मुझे तिरंगे के नीचे खड़ा कर देते थे,
और कहते थे यही तेरा आखिरी निशान हैं,
मेरी रुह, मेरे जिस्म, मेरी हर सांस पर लिखा हिंदुस्तान हैं,
मैं हूं या तुम हो, सभी हैं यहां मां भारती के लाल,