कुछ नही है, कुछ नही था, कुछ नही हो सकेगा
यही आज है यही कल था शायद ऎसा ही रहेगा
दिल ने मान लिया हार अब दिमाग को कह रहा
चल बंद करते है काम कब तक चलता ही रहेगा
पहले हारते है फिर उम्मीद करते है फिर हारते है
क्या सफलता हर बार मुझसे दूर जाता ही रहेगा
उस खुदा से मिलने की बड़ी तीव्र लालसा है मेरी
पूछना है कब तक बेरंग जिंदगी खींचता ही रहेगा
तब भी लिखा था अब भी लिखा है अब कब तक
क्या मौत का फैसला तेरे कोर्ट में लटका ही रहेगा
©Sumit R Das
#FindingOneself