रात भर इक चांद का साया रहा इश्क़ का इक ज़ख्म नुमाय | हिंदी विचार

"रात भर इक चांद का साया रहा इश्क़ का इक ज़ख्म नुमाया रहा। नींद में भी करवटें हम बदलते रहे शायद सपनों में तू था आया रहा। बात बात पे तेज़ होती है धड़कनें बहुत दिल को मैंने समझाया रहा। इतने संगदिल होना भी अच्छा नहीं याद तेरी में सब कुछ भुलाया रहा। चाहत होती तो निभा भी सकते थे मजबूरी का राग बेकार गाया रहा। ©SAMSHER P"

 रात भर इक चांद का साया रहा
इश्क़ का इक ज़ख्म नुमाया रहा।

नींद में भी करवटें हम बदलते रहे
शायद सपनों में तू था आया रहा।

बात बात पे तेज़ होती है धड़कनें
बहुत दिल को मैंने समझाया रहा।

इतने संगदिल होना भी अच्छा नहीं
याद तेरी में सब कुछ भुलाया रहा।

चाहत होती तो निभा भी सकते थे
मजबूरी का राग बेकार गाया रहा।

©SAMSHER P

रात भर इक चांद का साया रहा इश्क़ का इक ज़ख्म नुमाया रहा। नींद में भी करवटें हम बदलते रहे शायद सपनों में तू था आया रहा। बात बात पे तेज़ होती है धड़कनें बहुत दिल को मैंने समझाया रहा। इतने संगदिल होना भी अच्छा नहीं याद तेरी में सब कुछ भुलाया रहा। चाहत होती तो निभा भी सकते थे मजबूरी का राग बेकार गाया रहा। ©SAMSHER P

#sayari #kavita

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