जीत के जहान को भी मैंने ये बाजी हारी । आसमा को छू | हिंदी शायरी

"जीत के जहान को भी मैंने ये बाजी हारी । आसमा को छू लेना साधना हमारी है ।। जीत के भी हार जाना , इसलिए जरूरी है, कि उड़ान फिर से आज भर ली मंज़िल अभी अधूरी है ।। ©Rajendra Singh Rajak Ragi"

 जीत के जहान को भी मैंने ये बाजी हारी । आसमा को छू लेना साधना हमारी है ।। जीत के भी हार जाना , इसलिए जरूरी है, कि उड़ान फिर से आज भर ली मंज़िल अभी अधूरी है ।।

©Rajendra Singh Rajak Ragi

जीत के जहान को भी मैंने ये बाजी हारी । आसमा को छू लेना साधना हमारी है ।। जीत के भी हार जाना , इसलिए जरूरी है, कि उड़ान फिर से आज भर ली मंज़िल अभी अधूरी है ।। ©Rajendra Singh Rajak Ragi

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