पास मेरे कुछ नहीं है
बस अंधेरी तुरबतें हैं
अनकही कुछ ख़ाहिशें हैं
और अधूरी हसरतें हैं
चंद सांसे ज़िन्दगी की
गर्दिशों की सांझ बनकर
रात आई थी ये कहने
साथ चल तूं चांद बनकर
पल दो पल का राब्ता है
फिर संगदिल फुरकतें हैं
अनकही कुछ ख़ाहिशें है
और अधूरी हसरतें हैं