रोज की तरह बाबू जी हाथ में चाय की प्याली लिए अख़बा

"रोज की तरह बाबू जी हाथ में चाय की प्याली लिए अख़बार वाले का इंतेज़ार कर रहे थे तभी मानो एक हवा का जोखा आई और उन्हें दूर खड़ी एक औरत दिखाई दी उन्हें देखकर बाबू जी बहुत खुश हुए वो और कोई नहीं बल्कि उनकी उनकी बेटी थी जो बरसों बाद घर लोटी थी ।। ©projeet"

 रोज की तरह बाबू जी
हाथ में चाय की प्याली लिए
अख़बार वाले का 
इंतेज़ार कर रहे थे 
तभी मानो एक हवा का जोखा आई और उन्हें 
दूर खड़ी एक औरत दिखाई
दी उन्हें देखकर बाबू जी 
बहुत खुश हुए वो और कोई नहीं बल्कि उनकी उनकी बेटी थी जो बरसों बाद घर 
लोटी थी ।।

©projeet

रोज की तरह बाबू जी हाथ में चाय की प्याली लिए अख़बार वाले का इंतेज़ार कर रहे थे तभी मानो एक हवा का जोखा आई और उन्हें दूर खड़ी एक औरत दिखाई दी उन्हें देखकर बाबू जी बहुत खुश हुए वो और कोई नहीं बल्कि उनकी उनकी बेटी थी जो बरसों बाद घर लोटी थी ।। ©projeet

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