White आज आया तो लगा कल ठीक था जो हुआ है हो गया चल | हिंदी कविता

"White आज आया तो लगा कल ठीक था जो हुआ है हो गया चल ठीक था खामखां कुछ बोलने से चुप भली कहना बूढों का दरअसल ठीक था बढ़ गई बेचैनियाँ लेकर दवा दर्द रहता था मुसलसल ठीक था छाया को तरसे तो आया याद अब घर के आँगन में वो पीपल ठीक था था नहीं इन हादसों का डर कभी भागती गाड़ी से पैदल ठीक था तुम अकलमंदों में रह के ठीक थे मैं रहा पागल तो पागल ठीक था ©Rajbir Khorda"

 White आज आया तो लगा कल ठीक था
जो हुआ है हो गया चल ठीक था

खामखां कुछ बोलने से चुप भली
कहना बूढों का दरअसल ठीक था

बढ़ गई बेचैनियाँ लेकर दवा
दर्द रहता था मुसलसल ठीक था 

छाया को तरसे तो आया याद अब
घर के आँगन में वो पीपल ठीक था

था नहीं इन हादसों का डर कभी
भागती गाड़ी से पैदल ठीक था

तुम अकलमंदों में रह के ठीक थे
मैं रहा पागल तो पागल ठीक था

©Rajbir Khorda

White आज आया तो लगा कल ठीक था जो हुआ है हो गया चल ठीक था खामखां कुछ बोलने से चुप भली कहना बूढों का दरअसल ठीक था बढ़ गई बेचैनियाँ लेकर दवा दर्द रहता था मुसलसल ठीक था छाया को तरसे तो आया याद अब घर के आँगन में वो पीपल ठीक था था नहीं इन हादसों का डर कभी भागती गाड़ी से पैदल ठीक था तुम अकलमंदों में रह के ठीक थे मैं रहा पागल तो पागल ठीक था ©Rajbir Khorda

#Yoga

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