सहारे ढूढने की आदत नहीं है साहिब वरना शहर भर में म | हिंदी शायरी

"सहारे ढूढने की आदत नहीं है साहिब वरना शहर भर में मेरा आशियां बना होता यूं तो हम तन्हाइयों में पसंद करते है जीना वरना पूरे वतन में हमारा कारवां चल रहा होता @शिवा......"

 सहारे ढूढने की आदत नहीं है साहिब
वरना शहर भर में मेरा आशियां बना होता 
यूं तो हम तन्हाइयों में पसंद करते है जीना 
वरना पूरे वतन में हमारा कारवां चल रहा होता 
@शिवा......

सहारे ढूढने की आदत नहीं है साहिब वरना शहर भर में मेरा आशियां बना होता यूं तो हम तन्हाइयों में पसंद करते है जीना वरना पूरे वतन में हमारा कारवां चल रहा होता @शिवा......

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