घर की चार दिवारी संग,
मैं बतियाती हूं।
बनाना खाना ले जाना लाना!
सब बताती हूं,
घर की चार दिवारी संग,
मैं बतियाती हूं।
मां बाबा की परछाई को,
अकेलेपन की तन्हाई को,
रिश्तों की हो गुत्थम गुत्थी,
या पड़ोस की नेमा आंटी।
घरवालों के प्रेम के आगे,
कुछ अबोध हो जाती हूं,
घर की चारदीवारी संग,
मैं बतियाती हूं।।
©Arpit Jain #arnam
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