ये रिश्ता कैसा था उससे..
कि मुझे बस उसके अलावा किसी की
चाहत नहीं थी..
और उसे मेरे अलावा सब के साथ
समय चाहिए था ।
मैं माँगती थी जब वक्त उससे वो
बाद में करने का बोल
हर रोज टालता था ।
फिर भी भूल कर सब हार मान कर
उसका ही नंबर डायल पैड
पर आता था ।
बिलखते भरे नैनो से भी उससे
अपने लिए भीख माँगी थी ।
नहीं रह पाऊँगी बिना तेरे
सिसकियाँ लेते हुए आख़री बार
वक्त की दो घड़ी
माँगी थी..
उस वक्त भी उसे मुझे अकेले छोड़
मूवी थिएटर
की भीड़ बढ़ानी थी ।
उसको देखने के लिए सिर्फ
मैं उसके शहर
आती थी ।
उसके लिए तो हमेशा मैं बोझ से भरी
लारी थी..
जिसके लिए मैं कुछ भी करने को तैयार
रहती थी।
उसके इनबॉक्स में दूसरों से अपने लिए
फ्रस्ट्रेशन और लिखी गाली थी ।
©Bholenath Baba ki pujaran
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