अहंकार को मत चखना, पाँव धरातल पर रखना, डूब गई | हिंदी कविता

"अहंकार को मत चखना, पाँव धरातल पर रखना, डूब गई नौकाएँ कितनी, नाव में पानी मत रखना, लाख बढ़े जिम्मेवारी, बोझ नहीं मन पे रखना, होगा काम पूर्ण इक दिन, कोशिश तुम जारी रखना, अरमानों के जंगल में, ख़ुशियों की क्यारी रखना, दोस्त हजारों हों फिर भी, ख़ुद से भी यारी रखना, झुकना नहीं प्रलोभन से, इतनी खुद्दारी रखना, सफ़र कटे सुंदर 'गुंजन', अपनी तैय्यारी रखना, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra"

 अहंकार को मत चखना, 
पाँव  धरातल पर रखना, 

डूब गई नौकाएँ कितनी, 
नाव में पानी मत रखना, 

लाख   बढ़े   जिम्मेवारी, 
बोझ नहीं मन पे रखना, 

होगा काम पूर्ण इक दिन, 
कोशिश तुम जारी रखना, 

अरमानों   के   जंगल  में, 
ख़ुशियों की क्यारी रखना, 

दोस्त हजारों हों फिर भी, 
ख़ुद से भी  यारी  रखना, 

झुकना नहीं  प्रलोभन से, 
इतनी    खुद्दारी    रखना, 

सफ़र  कटे  सुंदर 'गुंजन',
अपनी   तैय्यारी   रखना, 
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
    समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

अहंकार को मत चखना, पाँव धरातल पर रखना, डूब गई नौकाएँ कितनी, नाव में पानी मत रखना, लाख बढ़े जिम्मेवारी, बोझ नहीं मन पे रखना, होगा काम पूर्ण इक दिन, कोशिश तुम जारी रखना, अरमानों के जंगल में, ख़ुशियों की क्यारी रखना, दोस्त हजारों हों फिर भी, ख़ुद से भी यारी रखना, झुकना नहीं प्रलोभन से, इतनी खुद्दारी रखना, सफ़र कटे सुंदर 'गुंजन', अपनी तैय्यारी रखना, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#अपनी तैय्यारी रखना#

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