जब-जब चार दीवारों से निकलकर यह आसमान मैंने देखा है
यह परिंदे गवाह है मेरे एक कोहराम मैंने देखा है
मासूमों की मुस्कान को फीका पढ़ते हुए देखा है
अपनी आंखों से इंसानियत को मरते हुए देखा है
जब-जब चार दीवारों से निकलकर यह आसमान मैंने देखा है
यह परिंदे गवाह है मेरे एक कोहराम मैंने देखा है
देखा है मेरी निगाहो ने एक आवाज को दबते हुए देखा है
एक फूलों से भरे बगीचे को शमशान बनते हुए देखा है
देखा है मेरी आंखों ने मुर्दों को चलते हुए देखा है
क्या-क्या बताऊं और कैसे बताऊं
मैनें शोर में खड़े होकर भी सन्नाटा देखा है
जब-जब चार दीवारों से निकलकर यह आसमान मैंने देखा है यह परिंदे गवाह है मेरे एक कोहराम मैंने देखा है
©Poetry of Mine
#alone