ख़ुशी और गम तो सिक्के के दो पहलू की तरह होते है,
आज गम तो कल फिर खुशी होगी।
मगर इसके व्यवहार को कोई समझना नहीं चाहता,
बात सिर्फ इतनी है...
अर्थात् खुशी में हम इतने आंनदित होते है कि
उसमें बिताया हर क्षण हमें छोटा ही प्रतीत होता है।
किन्तु गम आते ही हम इतने असहाय और गमगीन हो जाते है कि एक छोटा-सा दु:ख भी हमें कई कोटि वर्षो से आया हुआ लगने लगता है।
पर इसे प्रकृति की ही तरह धूप और छाया समझ लेगें न,
तो फिर क्या खुशी, क्या गम?
बस हर क्षण फिर आनंद ही आनंद होगा।।
।।हरि बोल।।
।।राधे-राधे।।
©dpDAMS
#Khushi