White पल्लव की डायरी चीख रही है मानवता वेदनाओं से | हिंदी कविता

"White पल्लव की डायरी चीख रही है मानवता वेदनाओं से कराहती है गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी भुखमरी सताती है कुछ आकाओ के चंगुल में विश्व जकड़ा है तबाही तबाही जग में दिखाती है डॉलर की चमक फीकी ना पड़ जाये कई देशों की अर्थव्यवस्था चट कर जाती है डर भय और पेटेंट के बल पर जग को निगलती जाती है शांति का आवरण ओड़ कर विश्व में आतंक फैलाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 White पल्लव की डायरी
चीख रही है मानवता
वेदनाओं से कराहती है
गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी
भुखमरी सताती है
कुछ आकाओ के चंगुल में
विश्व जकड़ा है
तबाही तबाही जग में दिखाती है
डॉलर की चमक फीकी ना पड़ जाये
कई देशों की अर्थव्यवस्था चट कर जाती है
डर भय और पेटेंट के बल पर
जग को निगलती जाती है
शांति का आवरण ओड़ कर
विश्व में आतंक फैलाती है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

White पल्लव की डायरी चीख रही है मानवता वेदनाओं से कराहती है गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी भुखमरी सताती है कुछ आकाओ के चंगुल में विश्व जकड़ा है तबाही तबाही जग में दिखाती है डॉलर की चमक फीकी ना पड़ जाये कई देशों की अर्थव्यवस्था चट कर जाती है डर भय और पेटेंट के बल पर जग को निगलती जाती है शांति का आवरण ओड़ कर विश्व में आतंक फैलाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#International_Day_Of_Peace गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी

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