जिसे देखकर सुबह होती थी, अब उसे देखे बिना शाम हो ज | हिंदी शायरी

"जिसे देखकर सुबह होती थी, अब उसे देखे बिना शाम हो जाता है...इधर का जवाब उधर से नही आती है.... इसे एक तरफा प्यार कहें या एक तरफा वफ़ा..."

 जिसे देखकर सुबह होती थी, अब उसे देखे बिना शाम हो जाता है...इधर का जवाब उधर से नही आती है....
 इसे एक तरफा प्यार कहें या एक तरफा वफ़ा...

जिसे देखकर सुबह होती थी, अब उसे देखे बिना शाम हो जाता है...इधर का जवाब उधर से नही आती है.... इसे एक तरफा प्यार कहें या एक तरफा वफ़ा...

#इश्क़

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