पहले नहीं लगता था, कि एक ख़्वाब बनोगे तुम अब ये लग | हिंदी Shayari

"पहले नहीं लगता था, कि एक ख़्वाब बनोगे तुम अब ये लगता है, जैसे एक बिन खुली किताब हो तुम ! मन की क्यारी मैं एक अजीव खुशबू सी हो तुम , अपनी चुप्पी का एक गुलाब हो तुम ! वैसे मेरी मखामोशी में थोड़ी सी तो हो तुम ! हां सच मैं बेहिसाब हो तुम ! मेरे दिल ने,जो कभी भेजा था, शायद उस ख़त का अनकहा जवाब हो तुम! ©दिवाकर की डायरी"

 पहले नहीं लगता था, कि एक ख़्वाब बनोगे तुम
अब ये लगता है, जैसे एक बिन खुली किताब हो तुम !
मन की क्यारी मैं एक अजीव खुशबू सी हो तुम ,
अपनी चुप्पी का एक गुलाब हो तुम !
वैसे मेरी मखामोशी में थोड़ी सी तो हो तुम !
हां सच मैं बेहिसाब हो तुम !
मेरे दिल ने,जो कभी भेजा था,
शायद उस ख़त का अनकहा जवाब हो तुम!

©दिवाकर की डायरी

पहले नहीं लगता था, कि एक ख़्वाब बनोगे तुम अब ये लगता है, जैसे एक बिन खुली किताब हो तुम ! मन की क्यारी मैं एक अजीव खुशबू सी हो तुम , अपनी चुप्पी का एक गुलाब हो तुम ! वैसे मेरी मखामोशी में थोड़ी सी तो हो तुम ! हां सच मैं बेहिसाब हो तुम ! मेरे दिल ने,जो कभी भेजा था, शायद उस ख़त का अनकहा जवाब हो तुम! ©दिवाकर की डायरी

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