अतीत की  बातें और यादें, कड़वी थी या मिट्ठी सब व्य | हिंदी कविता

"अतीत की  बातें और यादें, कड़वी थी या मिट्ठी सब व्यतीत हो गई। वर्तमान जो  है वही  है सच , जो बीत गई वो रात  हो गई । बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधी लेई । बुजुर्गो ने है ये बात कही, हर सुबह का सूर्य लेकर , आता है रोशनी इक नई। भविष्य तो अंधा कुआं है, ना दिखें कुछ मिलेगी हर बात नई।। स्नेह शर्मा स्वरचित ©#Sneha Sharma "

अतीत की  बातें और यादें, कड़वी थी या मिट्ठी सब व्यतीत हो गई। वर्तमान जो  है वही  है सच , जो बीत गई वो रात  हो गई । बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधी लेई । बुजुर्गो ने है ये बात कही, हर सुबह का सूर्य लेकर , आता है रोशनी इक नई। भविष्य तो अंधा कुआं है, ना दिखें कुछ मिलेगी हर बात नई।। स्नेह शर्मा स्वरचित ©#Sneha Sharma

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