सुनो!
ठुकरा देना मुझे
जैसे मारती है ठोकर
वो रास्ते का पत्थर,
अग़र, अपनाना मुझे तो
जैसे राधा ने अपनाया था
कृष्ण को
बस प्रेम, विश्वास, धैर्य के साथ
जैसे उर्मिला ने अपनाया था
लक्ष्मण को
बस त्याग और इंतज़ार के साथ।
जब चाहना तो चाहते रहना
केवल हम होंगे हमारे भीतर
बाँकी सब शून्य होगा।
पाने की ज़िद्द मर करना
तो नहीं होगा डर,
खोने का
न इधर, न उधर।
©Aditya Karn
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