मेरा क्रोध मुझसे भी वाकिफ नहीं ,
तो तुम मुझसे क्या ही रूबरू होगे ,
तेरा होना मेरे बस में न सही ,
तुम मुझे क्यों ही तवज्जो दोगे,
ये तो समन्दर जैसी आँखों का दोष है ,
वरना डूबते तो हम भी नहीं,
मुस्कुराने की वजह भी तुम ,
वरना मुस्कुराना भूल गए थे हम,
चेहरे का नूर भी कितना कमाल का है,
जो देख ले तो देखता रह जाये,
तुमसे मिलन तो असंभव है,
मगर कभी कभी तो टकराना होगा,
फ़िक्र मुझे भी है तुम्हारी ,
करती तुम भी हो फ़िक्र हमारी,
ये तो नजरे है दुनिया की हम पर ,
वरना दिखाते दुनिया को भी मोहब्बत हमारी,
चेहरे की मासूमियत भी कितना कमाल की है ,
फ़िदा तो होना ही था तुम पर,
अब मैं तुम्हे उस नज़र देखता हूँ,
जिस नज़र कोई तुम्हे कोई नही देखता।
©Jai Singh Hindi Dictionary
#brokenlove मासूमियत। Dhyaan mira @Anshu writer @Miss..Aarvi @SwaTripathi @Suhani Tiwari