कभी अपना सा लगता है, ये वक्त मेरा
ओर कभी लगता है ,बेगाना सा।
बहुत कुछ कह देता है कभी ,ओर कभी
चुपचाप खामोश सा।
कभी ढूंढता है ये हर जगह मुझको
ओर में ढूंढू तो गुमनाम सा।
कभी कठिनाइयां लाता है ढेरो ओर
कभी आसान सा।
ये मेरा वक्त ,हर वक्त दे जाता है
,कुछ नया गहरे निशान सा।
©Mrinal Malviya
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